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❇️साइट ब्लॉग के बारे में !

✳️This blog site has contains the following valuable different spiritual collections. Pls go through menu at the right of site page.

*༺‼️शिव मेरे आराध्य का अभियान‼️༻*
*༺‼️हर एक मित्र हो प्रज्ञावान‼️༻*

🔵आध्यात्मिक-सुविचार, भगवत कथा, जीवन प्रेरित कहानियाँ, भगवान शिव के अनगिनत चित्र, धार्मिक एवं ज्ञानवर्धक वीडियों, सामाजिक लेख, योग, मंत्र-तंत्र की जानकारी उसके प्रभाव-दुष्प्रभाव, जप, ध्यान, पूजा, आध्यात्म, वेद, गीता, भागवत, उपनिषद, पुराण आदि के ज्ञान-विज्ञान का संकलन। इसके अतिरिक्त समाज मे फैलें धर्म के नाम पर कारोबार, पाखंड, सिद्धि-प्रसिद्धि, अनैतिक दोहन, चमत्कार, धर्म गुरुओ का फैला साम्राज्य, आध्यात्म के रहस्य, धर्म-अधर्म मे भेद, गुरू की पहचान, विभिन्न तरह की सहज साधना/योग। मानव जीवन क्या/किसलिए !! हम कौन, दुःख-सुख क्यू-किसलिए? असफल क्यों, मानव जीवन मे की गयी गलतियां/भूल एवं उसका परिणाम, सफ़लता के मूल मंत्र, फिटनेस, स्वास्थ्य, नौकरी मे व्यवधान, व्यवसाय मे नुकसान संबन्धित अनेकों जानकारियां। और भी बहुत कुछ जानने योग्य जानकारियां एक ही पटल पर !

🛑काम का एक और नाम है- इच्छा। यह इच्छा ही सब का मूल है। इच्छा से ही मनुष्य प्रत्येक कर्म में प्रवृत्त होता है। सृष्टिकर्ता ने इच्छा से ही सृष्टि की और इच्छा से ही वो इसका पालन करता रहा है। और इच्छा से ही वही एक दिन नष्ट भी कर देगा। सृष्टिकर्ता ने इन कार्यो के लिए अपने अलग-2 रूपों की रचना की। जिन्हें हमारे धर्म में ब्रह्मा/ विष्णु और महेश कहतें हैं। और इनकी शक्तियों को क्रमशः ब्राह्मणी/लक्ष्मी/रुद्राणीं के नाम से जानते हैं। ये शक्तियां ही योग पुरुष से संयुक्त होकर प्रकृति के अनुसार सृष्टि के अनेकों कार्यो को संचालित करती हैं और मनुष्य के अंदर उनके प्रकृतिनुसार नूतन इच्छाओं के बीज को आरोपित करती हैं। प्रश्न हैं यह इच्छा कब और क्यू होती है? उत्तर है जब नाशवान पदार्थों के प्रति आकर्षण होता है। यहां आकर्षण क्यों होता है? कौन करता है? जब इस प्रश्न पर विचार करते हैं। तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि अवश्य कोई शक्ति, है सत्ता, है जो किसी ना किसी को निमित्त बनाकर इस आकर्षण को पैदा करती है। फिर उसे हम प्राकृति कहें या ईश्वर की माया या फिर ईश्वर की शक्ति या मन का खेल। शक्ति वही हैं एक हैं किन्तु पात्र हम सब। बृहद शक्ति जब सृष्टि करती है तब ब्रह्माणी, पालन करती है। तब वैष्णवी, तथा सहार करती है। तब चंडी, काली, चंडिका आदि नामों से पुकारी जाती है। इन तथ्यों के पीछे तथा इन आकर्षणों के पीछे किसी ना किसी रूप मे शक्ति का दबाव अवश्य है। उस दबाव के कारण प्रत्येक जीव जगत एक दूसरे से बंधे हुए है। इन्हीं दबाव के कारण या यूं कहें इन्हीं आकर्षणों के कारण प्रत्येक व्यक्ति या प्रत्येक जीव एक दूसरे के लिए निरंतर कार्यरत हैं। उलझन यहां है कि इन इच्छाओं को या इन आकर्षणों को मोह का बंधन माना जाए। या मनुष्य की अपनी आवश्यकता ?…हा यदि आवश्यकता है तो कोई भी  मोह के इस बंधन को इतनी सरलता से पूर्णरूप से छोड़ नहीं सकता, सत्य हैं। किन्तु मोह और इच्छाओं के साथ संतुलन बनाकर एक..एक.. कदम तो निवृत की तरफ बढ़ाया ही जा सकता हैं। इसी मे मनुष्य जीवन की अपनी सार्थकता हैं। इस कार्य मे हम अपने धर्मग्रंथों और सत्पुरुषों के विचार, उनके जीवन से यथोचित प्रेरणा तो ले ही सकते हैं और धीरे ही सही अपना एक एक कदम..सच्चे आध्यात्म की ओर अग्रसर कर सकते हैं! जिसके लिए हमें यह दुर्लभ जीवन विधाता ने प्रदान किया हैं।***

🔵जुड़े और जोड़े “शिव” मेरे आराध्य..के साथ अपने परिवार के सदस्यों एवं मित्रों को और धीरे-धीरे एक एक कदम आध्यात्म की ओर बढ़ चले। क्योंकि-सुखी जीवन का यही सार, बाकी होता सब व्यापार !!***प्रिय पाठकों यह साइट माँ-शिवा महादेव जी के पावन चरणों मे अर्पित हैं। धन्यवाद

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एक कदम आध्यात्म की ओर..