
🔴#जब_भारत_लकड़ी_कंडों पर भोजन के लिए जंगली लकड़ियों, खर-पतवार एवं पशुओं पर आश्रित था तब सरकारों ने अपनी विस्तारवादी योजनाओं के माध्यम से गरीब-गरीब की राजनीति करते हुए उनके एवं अन्य ज़न-मानस के उत्थान हेतु विदेशों से आयात कर तेल, गैस के सिलिंडर देश की गली कूचों मे पहुंचाया और वर्तमान सरकार ने गावों व आदिवासी क्षेत्रों मे फ्री बांटे! वोट बटोरा! राजनीति की! वाहवाही लूटी! यद्यपि उन्हें मालूम हैं कि साल मे नौ; दस; बारह; सिलिंडर देने के उछापोंछ मे पिछली सरकार कैसे फिसल गयी! जब भारत सायकिल और बैलगाड़ी आदि से चल रहा था तो इन बेईमानों ने पूंजीवाद के तलवे चाटकर गाड़ियां, पार्ट और उसकी तकनीक विदेशों से मंगाई! असेंबल करके उसकी मार्केटिंग की और कुकुरमुत्तें की तरह देश के गली-गली मे बेचकर पूंजीपतियों से मिलकर धंधा किया! उनको अरबपति बनाया और अपना विस्तार किया!
🔴#तेल_और_गैस_के_दाम_बढ़ने से आज फिर आयातित बैटरियों से वाहन चलाने का धंधा देश दुनियां मे फलना, फूलना और फैलाना शुरू कर दिया हैं! सभी उसकी मार्केटिंग मे लगे हैं! पेट्रोल-डीजल की तरह कल बैटरियों का भी यही हाल होना हैं! भारत और दुनियां ऐसी सोच ऐसे विचारों से कभी भी आत्मनिर्भर नहीं हो सकता! आत्मनिर्भर का मतलब किसी भी वस्तु के लिए किसी दूसरे पर आश्रित नहीं होना! आज के समय मे सभी कर्ज लेकर अपने शौक और विलासिता की गाड़ी दौड़ा रहे हैं! सभी देश एक दूसरे पर निर्भर हैं! तेल कहीं और से; टेक्नोलॉजी कहीं और से; हथियार कहीं और से सुई कहीं और से; जहाज कहीं और से! फिर बोलते हैं आत्मनिर्भर! पूरब से लेकर पश्चिम; उत्तर से लेकर दक्षिण तक सभी कर्ज मे डूबे विलासी जीवन जीते हुए अपने-अपने विस्तार, प्रचार और खुद ही पीठ थपथपानें मे लगें हैं! पूरी मीडिया को धमाके करने मे लगा रखा हैं! देश का चौतरफा दोहन कर पैसों से हथियार और पूंजीवाद को मजबूर किया जा रहा हैं!

🔴#देशों_की_आपसी_निर्भरता और गुलामी पहले भी था आज भी हैं और नहीं सुधार आया आगे भी रहेगा! तेल, पैसा और अन्य संसाधनों का आदान प्रदान भी कर रहे हैं और युद्ध भी? खेल बाहर कुछ और अन्दर कुछ और! ये दोगली नीति ज्यादा नहीं चलने वाला! त्रिशूल की पूरी नजर हैं! वो समय जल्दी आने वाला हैं जब गाड़ियां मन्दिर, मस्जिद, चर्च एवं गुरुद्वारों के बाहर सूख-सड़ रही होंगी और पूंजीपति, राजनेता, महत्वाकांक्षी लोग अपने समर्थकों सहित मंदिरों या अपने धर्मस्थलों मे घंटा बजाते हुए कीर्तन आरती करते; नमाज पढ़ते; मोमबत्तियां जलाते नजर आयेंगे! प्रकृति का अपने फायदे के लिए दोहन दुनियां के लिए बहुत महंगा साबित होगा! देश दुनियां की हर चाल पर त्रिशूल की नज़र हैं!

⚫#तुम_जो_भी_योजनाएं_अपने हित मे बनाओगें त्रिशूल सब पर पानी फ़ेर देगा! बहुत कर लिया विकास, विस्तार और विलास अब होगा पूरा का पूरा सत्यानाश! पूरी दुनियां मे एक-एक का हिसाब इसी पृथ्वी पर होगा! दुनियां वही जा रही हैं जहां से चलना सीखा था! पूंजीवाद, मठावाद, नेतावाद, अवसरवाद, विस्तारवाद, अफसरवाद सहित दुनियां मे जितने भी वाद; तंत्र, षडयंत्र, पाखण्ड हैं आपस मे लड़कर नष्ट हो जाएंगे! धर्म, नफरत और विस्तार का खेल तुमने शुरू किया हैं! ‘द’ एण्ड त्रिशूल करेगा जो इस समय दुनियां के सभी महात्वाकांक्षी मौकापरस्त एवं पूंजीवाद के मस्तक के इर्द-गिर्द घूम रहा हैं! भाषण यू ही नहीं होते उनका अर्थ होता हैं! दुनियां वही बोल रहीं हैं जो त्रिशूल कहलवा रहा हैं! अपने बड़बोले वादे जो तुमने सत्ता के लिए किये हैं वो तुम्हें पूरे करने होंगे! मौत चोरों तरफ हैं! अपना पूरा दम-ख़म दिखाने का समय आ रहा हैं! लौ बुझने से पहले जैसे अपना फैलाव फड़फड़ाव करती हैं वैसे ही पूंजीवाद और सत्तावाद जब अपने प्रचंड पर होगा तभी त्रिशूल? ये बर्बादी, विस्तार, नफरत, आक्रोश रोक सकते हो तो रोक लो! नहीं तो! चंद गिनती की सांसे ही बचीं हैं! फिर जो होगा वो तुम्हारे कल्पना से परे हैं! #सब_बदल जायेगा!°°°
➖🌸#बदलेगा_भारत_बदलेगी_दुनियां🌸➖
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°°°•••✳️॥>!धन्यवाद!<॥✳️•••°°°